मैं डॉ कालीचरण यादव जी को व्यक्तिगत रूप से नहीं जानती हूं परन्तु मुझे यह पत्रिका इतनी प्रभावी और मुकम्मल लगती है कि मैं इसे अपने छोटे से ब्लाग के माध्यम से आपलोगों की जानकारी में भी देना चाहती हूं। वैसे लोक और साहित्य की दुनिया में यह पत्रिका काफी चर्चित है। मुझे उम्मीद है कि कालीचरण जी को मेरी यह हिमाकत बुरी नहीं लगेगी।

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