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झूल-झूल, नूनू झूले झूल-झूल।
बांस ऊपर पर सुग्गा झूल
अपनी महलियां नूनू झूल।
सुगवा कहे म सरोवर जाउं
नूनू कहे हम ननिहर जाउं।
ननिहर जाउं त की-की खाउं
दहि-चूड़ा मिठैईये खाउं
एक मन करे कि खईयै लौं
एक मन करे कि रुसियै जाउं।
पानी पियत नूनू पोखर जाए
पोखरी के बेंगवा ले लुलुआय
जहिया ऐते नूनू के माय
तहिया देबै जिमा लगाय।।
झूल-झूल नूनू झूले झूल-झूल।
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अर्थ- बांस के ऊपर तोता झूल रहा है,
अपने महल में नन्हा बालक झूल रहा है,
तोते का मन है कि वह सरोवर जाए
बालक का मन है कि वह अपने ननिहाल जाए।
ननिहाल जाकर दही चूड़ा और मिठाई खाए।
खाए या रूठ जाए, सोच रहा है।
पानी पीने का मन हो तो पोखर की तरफ ही जाए।
पोखर के मेंढक उसे चिढ़ा रहे हैं
जब बालक की मां आएगी, तब मैं उसे बालक को सौंप दूंगा।।
-प्रीतिमा वत्स
kahan se lati ho g
ReplyDeletesach sach batana ye kiski tasbir hai.
ReplyDeleteyeh tasbir meri natin ki hai.
ReplyDeleteAti sundar jankari bahut achchha
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