पिछले पोस्ट में मैंने दो उपनयन गीत डाला था, कमेंट के माध्यम से भी और ईमेल के जरिए भी इन गीतो को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सुझाव मिला था, सो मैं यहां पर इन गीतों का अनुवाद करने की कोशिश कर रही हूँ-
1
पृथ्वी पर खड़ा भेलो वरुवा जनौवा-जनौवा बोले हे..........
केयो छेको पृथ्वी के मालिक जनौवा पहिरायतो हे.........
पृथ्वी के मालिक हे सूरुज देव छिक, हुनी उठी बोलै हे
हम छिक पृथ्वी के मालिक जनौवा पहिरायब हे..........
पृथ्वी पर खड़ा भेलो जे वरुवा जनौवा-जनौवा बोले हे......
धरती पर खड़े होकर बालक(जिसका जनेऊ हो रहा है।) जनेऊ माँग रहे है।
इस पृथ्वी के मालिक कौन है जो इन्हें जनेऊ पहनाएंगे।
इस पृथ्वी के मालिक तो सूर्य भगवान हैं,
और वह(सूर्यभगवान) उठकर बोले-
हम हीं इस पृथ्वी के मालिक हैं,इन बालकों को जनेऊ धारण करवाएंगे।
इन्हें सम्पूर्ण ब्राह्मण होने का आशिर्वाद देंगे।
2
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे.....
कहां शोभे मुंज के डोरी, कहां शोभे मृग के छाला
कहां शोभे पियरी जनौवा , मंडप पर शोभे
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे........
हाथ शोभे मुंज के डोरी, कमर मृग छाला
देह शोभे पियरी जनौवा, मंडप पर शोभे
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे।
राजा दशरथ के चारो पुत्र उपनयन मंडप पर विराजमान हैं
वे मंडप की शोभा बढ़ा रहे हैं।
मुंज की डोरी,मृग की छाला कहां शोभायमान है,
साथ हीं पीले रंग का जनेऊ कहां सुशोभित हो रहा है।
राजा दशरथ के चारों पुत्र उपनयन मंडप की शोभा बढ़ा रहे हैं।
हाथ में मूंज की डोरी, कमर में मृग की छाला।
शरीर पर पीले रंग का जनेऊ, मंडप पर सुशोभित हो रहा है।
राजा दशरथ के चारों पुत्र उपनयन मंडप की शोभा बढ़ा रहे हैं
-प्रीतिमा वत्स
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बहुत अच्छा काम कर रही हैं आप....पुराने गानों का संग्रह....हिन्दी मे अर्थ दिए होने से लोकप्रियता बढेगी।
ReplyDeletebahut sundar . likhati rahiye . abhaar.
ReplyDeletepreetimaji,aaj achanak aapka panna mil gaya.Mai aapki mehnat dekh hairaan hun.Aapko humari shubhkamnaayen. Subodh Kumar
ReplyDeletebahut achhi lagi.mai yis geet ko thora aur gaati hun.
ReplyDeleteyisme ek paragraph aur hai
ReplyDeleteHi,this is really very nice blog.I have learned a lot of good and
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