झारखंड के आदिवासी समाज में कथा वाचन की परंपरा अब भी बनी हुई है। यहाँ पर पुरानी पीढी के लोग आज भी अपने बच्चो को कथा कहानी सुनाते हुए देखे जाते हैं।
एक गांव में एक समृद्ध व्यक्ति के पास धातु के बने हुए कुछ बर्तन थे। गांव के लोग शादी आदि के अवसरों पर यह बर्तन उससे मांग लिया करते थे। एक बार एक आदमी ने ये बर्तन मांगे। वापस करते समय उसने कुछ छोटे बर्तन बढ़ाकर दिए। समृद्ध व्यक्ति ने पूछा कि बर्तन कैसे बढ़ गए। उसने कहा कि मांगकर ले जाने वाले बर्तन में से कुछ गर्भ से थे। उनके छोटे बच्चे हुए हैं। समृद्ध व्यक्ति व्यक्ति को छोटे बर्तनों का लोभ हो गया। उसने बर्तन देने वाले आदमी को ऐसे देखा जैसे उसे कहानी पर विश्वास हो गया हो और उसने बर्तन रख लिए। कुछ दिन बाद वही व्यक्ति फिर से बर्तन मांगने आया। समृद्ध-व्यक्ति ने मुस्कुराते हुए बर्तन दे दिए। काफी समय तक बर्तन वापस नहीं आए। बर्तनों के स्वामी ने इसका कारण पूछा। मांगने वाले ने कहा कि वह बर्तन नहीं दे सकता, क्योंकि उनकी मृत्यु हो गई है। परंतु बर्तन कैसे मर सकते हैं समृद्ध व्यक्ति ने पूछा। क्यूं ? उत्तर मिला, यदि बर्तन बच्चे दे सकते हैं तो वे मर भी सकते हैं।
अब उस समृद्ध व्यक्ति को अपनी गलती का एहसास हुआ और वह हाथ मलता ही रह गया।
-प्रीतिमा वत्स
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बहुत बढिया कहानी है, लोभियों के लिये सबक है।
ReplyDeletebahut ahhi kahani lagi
ReplyDeleteप्रतिमा वत्स जी
ReplyDeleteअभिवंदन
झारखंड की एक लोक कथा पढ़ी अच्छी लगी
लोभ करने का प्रतिफल और लोभ न करने के लिए बड़े सहज ढंग से शिक्षा दी गई है
आपके द्बारा की गई प्रस्तुती के लिए धन्यवाद
- विजय
कहानी अच्छी लगी.
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