Thursday, February 12, 2009

बिरहा

किसानों के लिये कुछ समय ऐसा होता है जब कोई उत्पादन नहीं होता है, मतलब खेती के लिये उस समय कोई काम नहीं होता। रोजी रोटी की तलाश में तब वो दूर परदेश जाते हैं। परदेश गये इन पतियों के वियोग को महिलाएं अपने गीतों में व्यक्त करती हैं। पति वियोग में गाये इन गीतों को बिरहा कहा जाता है।
आज भी कभी-कभार सुनने को मिल जाते हैं बिरहा के गीत । लेकिन अब मौका किसी संगीत समारोह का होता है या स्टेज शो। गानेवाले होते हैं कोई सधे हुए कंठ।


रंगमहल में सोचै प्यारी धनिया
बिरहा सतावै दिर-राती बिरहनियां
गौना करये छेला देहरी बैसाये गेल
अपने जे गेल परदेश परदेशिया।।
रंग महल में सोचै प्यारी धनिया..........



सावन सुहावन लागती
पिया बिनु कुछ नहीं भावती
निस विरह सतावती
बतला दे प्यारे पियू कहाँ।।
सावन सुहावन लागती.........।।



सरीस मास ऋतु फागुन मास
नहीं रे शरद नहीं घाम
किनका संग हम होली खेलब
नहीं रे मोहनी यही ठाम।।
सरीस मास ऋतु फागुन मास..........
।।

-प्रीतिमा वत्स

3 comments:

  1. ऐसी दुनिया से साकाश्त्कार करवाती है जो हम जैसे के लिए लगभग खो चुकी है

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  2. मुझे वाराणसी जिले के निवासी प्रसिद्ध बिरहा गायक नसुड़ी के गाँव का नाम और लोकेशन पता करना है यदि किसी को पता हो तो बताने की कृपा करेँ और यदि किसी के पास स्व0 नसुड़ी के गाये बिरहोँ के आडियो कैसेट सुरक्षित होँ तो बतायेँ मेरा फोन 09559908060 ईमेल ps50236@gmail.com

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  3. 'बिरहा' शब्द का अर्थ मैं गुगल पे ढूँढ़ रहा तभी आपकी ये रचना पढने को मिली और मै इस शब्द का अर्थ बेहतर तरिके से समझा। धन्यवाद।
    भविष्य में भी आपसे जुड़ा रहूँ इसलिए आपके ब्लाॅग को मैंने फाॅलो कर लिया।

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Lok Astha ka prateek Lukluki Gaon ka Saali Puja.

www.gaonjunction.com/lokrang/gramyug/sali-puja-of-lukluki-one-day-when-the-whole-village-becomes-a-devotee-of-maa-kali?fbclid=IwY2xjawKft1xl...