बिहार के लोक नृत्यों की फेहरिस्त काफी लंबी है, उनमें से कुछ के बारे में संक्षिप्त परिचय इस पोस्ट के माध्यम से दे रही हूं। प्रत्येक के बारे में विस्तार से पुनः एक-एक कर लिखूंगी।
1. नारदी-
यह एक कीर्तनिया नाच है। इसमें परंपरागत साज मृदंग एवं झाल का प्रयोग किया जाता है। कीर्तनकार इस नृत्य के दौरान विभिन्न प्रकार के स्वांग किया करते हैं।
2. गंगिया -
गंगा बिहार की प्रमुख ही नहीं, अपितु पतित पावनी भी कहलाती है। इसके स्नान से मानवों का समस्त पाप धुल जाता है। गंगा स्तुति महिलाओं के द्वारा नृत्य के माध्यम से की जाती है जिसे गंगिया नृत्य की संज्ञा दी गयी है।
3. मांझी -
नदियों में नाविकों द्वारा यह गीत नृत्य- मुद्रा में गाया जाता है।
4. घो-घो रानी -
छोटे-छोटे बच्चों का खेल, जिसे लोक शैली में घो-घो रानी कहा जाता है। इस नृत्य में एक लड़की बीच में रहती है तथा चारों तरफ से बांकी लड़कियां गोल घेरा बनाकर गीत गाती हैं, और घूमती हैं।
5. गोढ़िन -
इसमें मछली बेचने वाली तथा ग्राहकों का स्वांग किया जाता है।
6. लौढ़ियारी -
इसमें नायक, जो एक किसान होता है, अपने बथान (गाय-भैंस बांधने की जगह) पर भाव-भंगिमाओं के साथ गाता और नाचता है।
7.धन कटनी -
फसल कट जाने के बाद किसान सपरिवार खुशियां मनाता हुआ गाता और नृत्य करता है। जो धनकटनी नाच के नाम से प्रसिद्ध हो गया है।
8. बोलबै -
यह नृत्य बिहार के भागलपुर तथा उसके आस-पास के इलाकों में प्रचलित रहा है, इसमें पति के परदेश जाते समय का प्रसंग होता है।
9. सामा-चकेबा-
यह नृत्य मिथिला का एक प्रमुख नृत्य है। इसमें औरतें एवं लड़कियां अपने भाइयों के हित के लिए इसे कार्तिक मास में करता हैं।
10. घांटो -
अतिथि देवता होता है, परंतु जब घर में कुछ खाने का न हो तब अतिथि क्या होता है । यह तो शायद सभी जानते हैं। इस नृत्य में ससुराल में रह रही गरीब बहन को जब भाई के आने की सूचना मिलती है तो वह काफी खुश हो जाती है लेकिन खाने का आभाव उसे परेशान कर देता है। सत्कार के चिंता में विरह गीत गाया जाता है तथा बेचैनी भरा थोड़ा नृत्य भी होता है।
11. झिझिया -
यह नृत्य तंत्र-मंत्र तथा डायन से संबंधित है। राजा-रजवाड़े का सीन भी दिखाया जाता है। मिथिला का बहुत ही प्रचलित नृत्य है।
12. इन्नी-विन्नी -
यह अंगिका का प्रमुख नृत्य है। इसमें पति-पत्नी प्रसंग पर महिलाएं नृत्य करती हैं।
13. डोमकछ-
अपने यहां शादी-ब्याह के अवसर पर महिलाएं डोमकक्ष का नृत्य करती हैं। जब बारात दुल्हन के घर की तरफ रवाना हो चुकी होती है और घर पर सिर्फ महिलाएं हीं रह जाती हैं तो वे लोग पुरुषों का वेश बनाकर नृत्य नाटिका करती हैं।
14. देवहर -
देवहर देवी-देवता का प्रतिनिधित्व करता हुआ गीत एवं नृत्य है। यह संपूर्ण बिहार तथा झारखंड में प्रचलित हैं। कहीं-कहीं यह नृत्य भगता नाच के नाम से भी प्रसिद्ध है।
15. बगुलो -
उत्तर बिहार में बगुलो नृत्य बड़ा ही प्रचलित है। इसमें ससुराल से रूठकर जानेवाली एक स्त्री का राह चलते एक दूसरी स्त्री के साथ नोंक-झोंक का बड़ा ही सजीव चित्रण किया जाता है।
16. कजरी -
कजरी सावन के महीने में गाया और खेला जानेवाला एक नृत्य नाटिका है। जो सावन के सुहावने मौसम को और भी सुहावना बना देता है।
17. झरणी -
यह मुहर्रम के अवसर पर झूमते हुए गाये जाने वाला एक प्रकार का नृत्य और गीत है।
18. जट-जटिन -
पंजाब से आयातित यादवों के द्वारा गाया जानेवाला गीत और नृत्य जट-जटिन के नाम से प्रचलित है। यह सामान्यतया इन्द्र भगवान को मनाने के लिए वर्षा ऋतु में किया जाता है।
19. होरी - बसंत के आगमन पर गाया जाता है होरी। यह गीत और नृत्य होली के दिन अपने चरम पर होता है।
20. बसंती-
यह पतझड़ के बाद बसंत ऋतु के आगमन पर गाया जाता है। इन गीतों को प्रायः महिलाएं ही गाती हैं।
-प्रीतिमा वत्स
उम्दा जानकारी आधारित पोस्ट / उपयोगी व सराहनीय /
ReplyDeleteinformative
ReplyDeleteअच्छी जानकारी है। जानकर अभिभूत हुआ। उम्मीद है इस तरह की और जानकारियां आपके ब्लॉग पर मिलती रहेगी।
ReplyDeletehttp://udbhavna.blogspot.com/
अच्छी जानकारी, शिक्षाप्रद आलेख जट-जटिन तथा होरी के बारे मैं जानना विशेष लगा
ReplyDeleteबढिया जानकारी, धन्यवाद..
ReplyDeleteबहुत अच्चे लगे आपकी पोस्ट और लोकनृत्य दोनों ही
ReplyDeleteहंस या कथादेश जुलाई 2010 में छपे लोकरंग-2 के विज्ञापन को पढ़ें और सहयोग करे ।
ReplyDeleteसुभाष चन्द्र कुशवाहा
देखें www.lokrang.in
जंतसर के अछूते गीत जो किसी संग्रह में न हों, देते हुए भी लिखा जा सकता है ।
ReplyDeleteSo great ???? kiya aisa writer V hai????
ReplyDeleteGreat work......very informative....keep it up.
ReplyDeletegood information for folk dance and song.
ReplyDeleteखोजत खोजत आखिर मिलिए गइल
ReplyDeleteधन्यवाद जी बहुत उमदा काम कइले बानी 💐
dhanyabad
DeleteSo great
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