Friday, June 12, 2009

बांग्ला लोकोक्तियाँ

बांग्ला लोकजीवन में लोकोक्तियों को बड़े ही मनोरंजक अंदाज में प्रयोग किया जाता है। कुछ लोकोक्तियां मैंने यहां पर संकलित करने का प्रयास किया है। शायद आप पाठकों को भी पसंद आएगा-

दशजन राजी जेखाने खोदा राजी सेखाने।
दस आदमियों का सहमती जहाँ होती है वहाँ भगवान भी राजी हो जाते हैं।

माछ आर अतिथि दुइ दिन पोरे विष।
मछली और अतिथि - ये दो दिन बाद अप्रिय हो जाते हैं।

अल्पविद्या भयंकारी।
थोड़ी विद्या भयंकर परिणाम देती है।

एक गाछेर छाल की आर गाछे लागे?
एक पेड़ की छाल क्या दूसरे पेड़ पर लगती है?

पर्बतेर मूषिक प्रसव।
खोदा पहाड़ निकली चुहिया।

आटुरे बोऊ नेंगटा होये नाचे।
अधिक प्यार से बहू नंगी नाचने लगती है।

-प्रीतिमा वत्स

6 comments:

  1. देवनागरी में बांग्ला लोकोक्तियों का संग्रह बहुत उपयोगी रहेगा। मेरा मित्र अक्सर बांग्ला लोकोक्तियों का हवाला देता रहता है। इनमें छिपा हुआ अनुभव का खजाना मुझे बहुत अच्छा लगता है।

    हो सके तो और भी लिखें ताकि सौ से उपर हो जाँय।

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  2. बढिया जानकारी।आभार।

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  3. खूब भालो !!

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  4. anand mila
    achha laga
    badhaai !

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  5. bahut aacha laga heartly thanks r l police inspector

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