Monday, December 15, 2008

यज्ञोपवीत अथवा उपनयन संस्कार


बालक जब किशोरावस्था में प्रवेश करने लगता है तो उसे जनेऊ के माध्यम से संस्कारित किया जाता है। इसे यज्ञोपवीत तथा उपनयन संस्कार भी कहा जाता है। यह प्रथा ज्यादातर बिहार तथा झारखंड के ब्राह्मण तथा राजपूत जातियों में प्रचलित है। इस मौके पर महिलाएँ लोकगीत भी गाती हैं।
1
पृथ्वी पर खड़ा भेलो वरुवा जनौवा-जनौवा बोले हे..........
केयो छेको पृथ्वी के मालिक जनौवा पहिरायतो हे.........
पृथ्वी के मालिक हे सूरुज देव छिक, हुनी उठी बोलै हे
हम छिक पृथ्वी के मालिक जनौवा पहिरायब हे..........
पृथ्वी पर खड़ा भेलो जे वरुवा जनौवा-जनौवा बोले हे......

2
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे.....
कहां शोभे मुंज के डोरी, कहां शोभे मृग के छाला
कहां शोभे पियरी जनौवा , मंडप पर शोभे
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे........
हाथ शोभे मुंज के डोरी, कमर मृग छाला
देह शोभे पियरी जनौवा, मंडप पर शोभे
दशरथ के चारो ललनवा मण्डप पर शोभे।

-प्रीतिमा वत्स

5 comments:

  1. आपके बारे में जानकर और आपको पढकर अच्‍छा लगा....;मै भी बोकारो , झारखंड में ही रहती हूं।

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  2. प्रीतिमा वत्स जी

    यज्ञोपवीत और क्षेत्रीय संस्कृति
    का ब्यौरा देने के लिए बधाई

    आपका
    विजय

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  3. संक्षिप्त लेकिन खूबसूरत ! विस्तार कब देंगे ? धन्यवाद् !

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  4. नम्बर एक गीत का सरल भाषा में अर्थ हो जाता तो अच्छा रहता /लोक गीत हमारी धरोहर है इनका संग्रह और इनमे रूचि होना शुभ संकेत है

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  5. गीतों का सरल भाषा में प्रयोग वाकई बहुत जरुरी है। आगे से मैं इसका ध्यान रखूंगी। इन गीतों को का ट्रांसलेशन भी ज्लद हीं करूंगी।

    संजय शर्मा जी ने उपनयन की विस्तृत जानकारी मांगी है। वह भी मैं जल्द ही उपलब्ध कराने की कोशिश करूंगी।

    सुझाव के लिए धन्यवाद,

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Lok Astha ka prateek Lukluki Gaon ka Saali Puja.

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