Sunday, December 7, 2008
क्यों पाला मुझे इतने जतन से माँ
कुछ आदिवासी (संथाली) संस्कार गीतों के अनुवादः
सौहर
"ओ मेरी माँ
क्यों रो रही हो तुम
दरवाजे पर,छाती पकड़कर !"
"क्यों न रोऊँ मैं, मेरी बेटी
पाला है बड़े यतन से
बड़े लाड़-प्यार से मैंने तुम्हें।"
"कटोरे के सुसुम गर्म पानी,
और अँगीठी की गर्म ताप से
की है मैंने परवरिश तुम्हारी।
क्या देने पराए घर तुझे
किए हैं मैंने इतने यतन?"
सौहर
पिताजी!
थी जब मैं छोटी
तो आए थे कुटुम्ब
-शादी के लिए मेरी,
पर कर दिया था आपने इन्कार!
बाबा, अब हो गई हूँ बड़ी मैं
कहाँ हैं मेरे बाराती, कहाँ हैं मेरे कुटुम्ब
बोलो अब क्या करूँ मैं?
पुआल की मोटी रस्सी की तरह
बना के रख दो 'खोचर' मुझे!
-प्रीतिमा वत्स
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
Aangan me Tulsi Chaura (एंगना मॅ तुलसी चौरा)
दुनिया के सब आपाधापी सॅ थकी क जबS दिन दुपहरिया घोर जाय छेलियै त एंगना मॅ तुलसी के लहलहैलो पौधा देखी क जी जुड़ाय जाय छेलै। जहिया सॅ महानगर ...
-
पिछले पोस्ट में मैंने दो उपनयन गीत डाला था, कमेंट के माध्यम से भी और ईमेल के जरिए भी इन गीतो को सरल भाषा में प्रस्तुत करने का सुझाव मिला था,...
-
उचित समय पर वर नहीं मिल रहा हो, तो लड़की का विवाह फूलों के गुच्छे को वर के स्थान पर रखकर कर दिया जाता है। गुजरात तथा झारखंड के कुछ हिस्सों म...
-
झारखंड के आदिवासी समाज में कथा वाचन की परंपरा अब भी बनी हुई है। यहाँ पर पुरानी पीढी के लोग आज भी अपने बच्चो को कथा कहानी सुनाते हुए देखे जात...
marmik rachana bahut achhi lagi,
ReplyDeleteनदिया के दो तीर हैं बेटी का संसार।
ReplyDeleteआधा जीवन इस तरफ आधा है उस पार।।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
मुश्किलों से भागने की अपनी फितरत है नहीं।
कोशिशें गर दिल से हो तो जल उठेगी खुद शमां।।
www.manoramsuman.blogspot.com
बहुत सुन्दर रचना है।बधाई स्वीकारें।
ReplyDeletelokjeevan me gey sohar sachmuch man baandh lete hain.
ReplyDeleteSundar anuwaad kiya hai aapne.
मन को छू लेने वाली रचनाएँ. खुशी हुई यह यह जान कर कि आज भूमण्डलीकरण की दुनिया में जब बेसोच आधुनिकता के सामने संस्कृतियाँ लुप्त हो रहीं हैं कोई भारत की इस लोकसम्पदा को खोने से पहले उसे सहेजने की कोशिश कर रहा है. शुभकामनाएँ.
ReplyDeleteअद्भुत रचना है दोनों . पीड़ा को जैसे शब्द मिल गये है .सार्थक लेखन है आपका .लिखती रहे
ReplyDeleteबढ़िया रचनाएँ । आपका परिचय पढ़कर अच्छा लगा ।
ReplyDeleteघुघूती बासूती