विवाह गीत
अति मनभावन लागै हो......
माई हे मैं ना जानूँ
पटेवा के गुथै गुण, राम जी के पहेरै गुण हे....
माई हे मैं ना जानूँ
दशरथ जी के कुल गुण, कौशल्या जी के गर्भ गुण हे......
राम जी के जोड़वा सुहावन लागे,
अति मनभावन लागै हो.....
माई हे मैं ना जानूँ
दरजी के सियै गुण, राम जी के पहेरै गुण हे.....
माई हे मैं ना जानूँ
दशरथ जी के कुल गुण, कौशल्या जी के गर्भ गुण हे..........
राम जी के धोतिया सुहावन लागे,
अति मनभावन लागै हो........
माई है मैं ना जानूँ,
मड़बड़िया के बेचै गुण, राम जी के पहेरै गुण हे.......
माई हे मैं ना जानूँ
दशरथ जी के कुल गुण, कौशल्या जी के गर्भ गुण हे......
राम जी के जूतवा सुहावन लागै
अति मनभावन लागै हो............
माई है मैं ना जानूँ
मोचिया के गढ़ै गुण, राम जी के पहेरै गुण हो....
माई हे मैं ना जानूँ
दशरथ जी के कुल गुण, कौशल्या जी के गर्भ गुण हे......
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यह एक विवाह गीत है। इसे बेटे के विवाह में गाया जाता है। इस गीत में दुल्हा बने राम जी पगड़ी, जोड़ा, धोती, जूते आदि का वर्णन किया गया है। कहा गया है कि राम जी के शरीर पर ये चीजें बहुत ही सुहावन और मनभावन लग रहा है। पता नहीं ये राम जी के पहनने का अंदाज है या बनाने वाले के हाथ की कला का कमाल है। पता नहीं यह दशरथ जी के कुल के संस्कारों के कारण है या कौशल्या जी के गर्भ की महिमा है।
-प्रीतिमा वत्स
(फोटोग्राफ नेट से साभार)
Incredible....
ReplyDeleteVery nice di
Thanks dear. 🌹
DeleteWah
ReplyDeletethank you
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