सावन के महीने में
शिव जी की पूजा का विधान तो समस्त भारत में है। साथ हीं बिहार, झारखंड समेत देश के
कई हिस्से में शिव के साथ-साथ नाग-नागिन की भी पूजा की पूजा बड़े विधि-विधान के
साथ की जाती है। यह पूजा खासकर वो औरतें जिनकी शादी नयी-नयी हुई है। यह पूजा पूरे
15 दिनों तक चलता है। इस 15 दिनों में पूजा करने वाली स्त्री बगैर नमक का भोजन
करती हैं, तथा जमीन पर सोती है। इस पूजा को मधुश्रावणी की पूजा भी कहते हैं।यह
पूजा खासकर ब्राह्मण समाज में ही प्रचलित है। इस पूजा में नाग-नागिन की मिट्टी की
मूर्ति बनाई जाती है। कई बार लोग चाँदी के भी बनवा लेते हैं। इन्हें सावन के पंचमी
तिथि को स्थापित किया जाता है। खूब सारे फल और पकवान, अक्षत, दुर्वा, फूल, बेलपत्र,
धूप, दीप आदि से इनकी पूजा की जाती है। पूजा के समय मोहल्ले की औरतें भी देखने आती
हैं और गीत गाती हैं। शुरुआत गणेश वन्दना से करते हैं। शिवजी और पार्वती जी के गीत
के साथ-साथ नाग-नागिन के गीत, विषहरी के गीत,गौरी पूजा के गीत आदि गाए जाते हैं।-
सावन की पूजा में
गाया जानेवाला एक गीत इस प्रकार है-
आवल सखि हे परम
सुहागन सावन के महीनमा।
आवल सखि हे, परम
सुहागन सावन के महीनमा।।
भरि-भरि लोटा हम जल
भरि लायब, पूजब नाग-नगिनियाँ।।
आवल सखि हे परम
सुहागन सावन के महीनमा।
भरि-भरि डाला हम फूल
तोड़ी लायब, पूजब नाग-नगिनियाँ।।
आवल सखि हे परम
सुहागन सावन के महीनमा।
भरि-भरि थार हम भोग
लगाइब, पूजब नाग-नगिनियाँ।।
आवल सखि हे परम
सुहागन सावन के महीनमा.........
............जारी....।।
-प्रीतिमा वत्स
-फोटोग्राफ्स नेट से साभार
-फोटोग्राफ्स नेट से साभार
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