यह एक अंगिका लोक गीत है। जो नवरात्र के अवसर पर अक्सर ही बिहार तथा झारखंड इलाके में गाया जाता है।
पांच बहिनी मैया पांचो कुमारी हे कमल कर वीणा।
पांचो ही आदि भवानी, हे कमल कर वीणा।
महिषा चढ़ल असुरा गरजल आवै हे कमल कर वीणा।
आजु करबै देवी स् विवाह है कमल कर वीणा।
पांच बहिनी मैया पांचो कुमारी हे कमल कर वीणा।
पांचो ही आदि भवानी, है कमल कर वीणा।
सिंह चढ़ली देवी खलखल हांसै हे कमल कर वीणा।
आजु करबै असुर संहार हे कमल कर वीणा।
एक हीं हाथ मैया खड्ग लियलिन हे कमल कर वीणा।
हे दोसर हाथ मुंडमाल हे कमल कर वीणा।
भरी-भरी खप्पड़ मैया शोणित पियथिन हे कमल कर वीणा।
आजु करबै असुर संहार हे कमल कर वीणा।
शोणित पिबिये मैया खलखल हांसै हे कमल कर वीणा।
आजु करबै भगता के उद्धार हे कमल कर वीणा।
पांच बहिनी मैया पाचो कुमारी हे कमल कर वीणा।
पांचो ही आदि भवानी, हे कमल कर वीणा।
इस गीत में देवी मां के पांच कुवांरी बहन होने की बात कही गई है। महिषासुर वध करके किस प्रकार मां उसका रक्त पीतीं हैं और अपने भक्तों की रक्षा करती हैं इसकी भी विस्तृत व्याख्या है इस गीत में।
-प्रीतिमा वत्स
फोटोग्राफ नेट से साभार
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