Saturday, May 24, 2008

मानव जीवन से जुड़ा पीपल वृक्ष


कोई शनि ग्रह के निवारण के लिए पीपल पूजता है, कोई धन की देवी लक्ष्मी को खुश करने के लिए तो कोई अपने सुहाग की रक्षा के लिए। हमारे धर्मशास्त्र में जहां पीपल वृक्ष में सभी देवी-देवताओं का निवास माना जाता है वहीं आयुर्वेद में पीपल वृक्ष को सबसे ज्यादा शुद्ध हवा प्रदान करनेवाला तथा कई रोगों के दवाओं के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है।

सम्पूर्ण भारत में समान रूप से पवित्र माना जानेवाला पीपल वृक्ष देश के हर कोने में आसानी से पाया जाता है। जन सामान्य की यह मान्यता है कि इस पेड़ में विष्णु भगवान समेत सभी देवी-देवता निवास करते है। हिन्दुओं के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार जब दैत्यों ने देवी-देवताओं को स्वर्ग से हराकर उन्हें खदेड़ा था तो सभी देवी-देवताओं ने पीपल पेड़ के बीच में ही शरण लिया था। धन की देवी लक्ष्मी का निवास भी पीपल वृक्ष में माना जाता है। उनकी उपासना करने के लिए लोग शनिवार को पीपल के पेड़ की पूजा करते हैं। एक अलग मान्यता के अनुसार शनिग्रह से निजात के लिए भी लोग पीपल पेड़ की पूजा शनिवार को सुबह करते हैं, तथा शाम को सरसों तेल के दिये जलाते हैं। ऋगवेद में भी पीपल के पेड़ के महत्व का वर्णन है। वैदिक श्रोतों के आधार पर पीपल की लकड़ी का उपयोग बर्तन बनाने के काम में किया जाता था तथा इसके बचे भाग को आग जलाने में। यह आग बहुत पवित्र माना जाता था। आज भी गांवों में बीमार आदमी की कांपती आंखों तथा हाथों, भयानक सपनों आदि से निजात पाने के लिए पीपल पेड़ की पूजा करके उसके पत्ते को जल में भिगोकर रोगी के शरीर पर छिड़का जाता है।
लोकमान्या के अनुसार महिलाओं में विभिन्न रूपों में पीपल के पेड़ का महत्व है। उत्तरभारत में सोमवती अमावस्या के दिन महिलाएं जल और कच्चा दूध पीपल में डालती हैं, तथा उसके 108 फेरे लेती हैं। उनका मानना है कि इससे उसके घर तथा परिवार में सुख-शान्ति बनी रहेगी। राजस्थान में महिलाएँ इस मान्यता के साथ पीपल के पेड़ की पूजा करती हैं कि वह वैधव्य के दुख से बची रहेगी। आश्विन महीने के पितृपक्ष में जब पितरों की पूजा होती है तो उसमें भी पीपल के पत्ते तथा इसकी शाखाओं का उपयोग किया जाता है। एक गड्ढा खोदा जाता है जिसमें दूध,जल,तिल तथा शहद के साथ पीपल की शाखाओं को गाड़ा जाता है। यह मान्यता है कि पूर्वजों की आत्मा इस जगह पर आती हैं तथा दान की गई वस्तु को ग्रहण करते हैं।
पीपल पेड़ का आयुर्वेद में भी बहुत महत्व है। इसके तने से निकलनेवाला रस कई तरह के त्वचा के रोगों से मुक्ति दिलाने में बहुत कारगर सिद्ध होता है। पीपल के फल को सुखाकर उसका पाउडर बनाकर रोज सुबह पानी के साथ लेने से अस्थमा की बीमारी दूर हो जाती है। पीपल के छाल का पाउडर नारियल तेल में मिलाकर लगाने से जलने के निशान तथा घाव बहुत जल्दी ठीक हो जाते हैं। ऐसा कह सकते हैं कि पीपल का पेड़ मानव जीवन के लिए प्रकृति का एक बहुत अच्छा उपहार है।

-प्रीतिमा वत्स

2 comments:

  1. उत्‍तम जानकारी के लिये धन्‍यवाद

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