खाड़ भेलैय मड़वा
अँगनमा, हाथे सोवरणों केरो साट हो।
यही साटे मारवो रे
भगता, हमरो भोजनमा देने जाहो हे।
कर जोरी ठाड़ो भेलै
भगता जे सभे भगता,
तोहरो भोजनमा हो
सूरुजदेव हलसी क दियबो,
हमरो आशिष देने जाह
हो।
बाढ़ियो संतति, बाढ़ियो
संपत्ति, बाढ़ियो कुल परिवार हो।
सूर्य को समर्पित इस
अंगिका लोकगीत में यह वर्णन किया गया है कि सोने के खड़ाऊँ पहन कर सोने के रथ पर
सवार सूर्य देव अपने भक्तों के पास आते हैं। दर्शन देने के उपरान्त भोजन की मांग
करते हैं। भक्त जो उनके दर्शन पाकर हीं निहाल हो रहे हैं, कहते हैं कि हे प्रभू
आपका भोजन तो हम खुश होकर देंगे। यह तो हमारे लिए सौभाग्य की बात है, आप कृपा करके
हम भक्तों को आशीर्वाद देते जाइए।
सूर्य देव उन्हें
आशीर्वाद देते हैं – तुम्हारी सम्पत्ति का विस्तार हो.......
तुम्हारे संतति
(वंश) का विस्तार हो............
तुम्हारे कुल और
परिवार का विस्तार हो..................।
(यह गीत हर शुभ अवसर
पर खासकर शादी, उपनयन, मुंडन आदि पर सबसे पहले गाया जाता है।)
मूल अंगिका गायिका-
दुर्गा देवी.
अनुवाद- प्रीतिमा वत्स
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