नदिया किनारे निमिया रोपल उजे अशह-बिशह निमिया पसरल
ताहि तर खाड़ भेल बेटी सुनयना बेटी हे।
काहे बेटी तोरा मुखहूं मलिन भेल हे।(अंगिका लोकगीत)
लोकगीतों में नीम, शादी के उबटन में शामिल नीम,
ससुराल जाती लड़की की यादों में बसा नीम,
विरहा के यादो का साथी नीम,
आयुर्वेद में महत्वपूर्ण स्थान रखनेवाला नीम हमारे रोज मर्रा की जिंदगी
में बहुत ही उपयोगी माना जाता है। लोक गीतों में इसकी ठंडी छांव की
तुलना तो माता-पिता के प्यार से की जाती रही है। जैसा कि इस राजस्थानी
लोकगीत में-
'संजा नीमड़ा नी छाया
वसी माता-पिता की माया
माया तोड़नो पड़से कि
सासर जानो पड़से....!
नन्ही-नन्ही सखियों के संग गोबर से लीपे आँगन में बैठकर संजा के गीत गाते
हुए नीम कब अपना-सा लगने लगा,
पता ही नहीं चला। कड़वे-कसैले नीम पर रचे मीठे भोले अनगढ़ गीत अनजाने ही
आज भी जुबान पर थिरक उठते हैं ।
निमिया के पात तबहि निक लागे, जब नीम कौड़ा होय।
यानी जैसी नीम की ठंडी सुखद छाँव होती है बड़ी प्रिय लगती है,
वैसी ही माता-पिता की मोह-माया होती है। इस माया को तोड़ना पड़ता है, तोड़ना पड़ेगा,
ससुराल जाना पड़ता है,
जाना पड़ेगा।
बचपन की ढेर सारी यादों में बसा नीम। स्कूल से लौटते हुए नीम की सूखी
पत्तियों को अपनी कॉपी के पन्नों पर गिरने की कामना लिए घंटों खड़े रहते सब
सहपाठी,
और जैसे ही कोई पत्ती किसी बच्चे की कॉपी पर गिरता मान लेते कि पढाई में
इस बार तो वही अव्वल आएगा। सिर्फ अनुभूति के स्तर पर ही नीम अप्रतिम नहीं
है, उसकी औषधीय महत्ता छाल,
टहनी, दातुन,
पत्तियाँ, निबौरिया,
फूल इन सबके रूप में प्रकट होती है। तभी तो यादों के किसी आईने की धूल
पोंछते हुए निदा फाजली ने लिखा है -
'सुना है अपने गाँव में
रहा न अब वह नीम
जिसके आगे मांद थे
सारे वेद हकीम।'
सच हीं है जिस घर में नीम का एक पेड़ है। वहां से बहुत सारी बिमारियां तो
अपने-आप दूर हो जाती हैं। नीम से जुड़े छोटे-छोटे नुस्खे जिन्हें अपनाकर हम
बिमारियों से काफी हद तक छुटकारा पा सकते हैं।
१- नीम का लेप सभी प्रकार के चर्म रोगों के निवारण में सहायक है।
२- नीम की दातुन करने से दांत और मसूड़े स्वस्थ रहते हैं।
३- नीम की पत्तियां चबाने से रक्त शोधन होता है और त्वचा विकार रहित और
कांतिवान होती है।
४- नीम की पत्तियों को पानी में उबाल उस पानी से नहाने से चर्म विकार दूर
होते हैं,
और ये खासतौर से चेचक के उपचार में सहायक है और उसके विषाणु को फैलने न
देने में सहायक है।
५- नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस
वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहां मलेरिया नहीं फैलता है।
6- नीम के द्वारा बनाया गया लेप बालों में लगाने से बाल स्वस्थ रहते हैं और
कम झड़ते हैं।
इसके अलावा भी नीम के बहुत से फायदे हैं, तभी तो इसे संस्कृत में ‘अरिष्ट’ भी कहा जाता है,
जिसका मतलब होता है,
‘श्रेष्ठ,
पूर्ण और कभी खराब न होने वाला।’ अंगिका का ये कहावत भी चैत के नीम की महत्ता को अच्छी तरह दर्शाता है-
चैतो के नीम बैशाखो के बेल,
जेठ मास पनियौतो ठेल।
'करेला और नीम चढ़ा'
जैसी कहावत को जन्म देने वाला शायद कभी उसकी छाँव तले सुस्ताया नहीं होगा।
कभी उससे गुजरकर आती ठंडी-ठंडी नशीली बयार ने उसे मदहोश नहीं किया होगा।
कभी उसके गुलाबी मुलायम पत्तियों को मुंह में रखकर चबाया नही होगा नहीं तो
उस कड़वाहट में घुलती हुई बताशे जैसी मिठास को जरूर अनुभव करते।
बॉक्स-
इस पृथ्वी पर जीवन सूर्य की शक्ति से ही चलता है…..सूर्य की ऊर्जा से जन्मे
तमाम जीवों में नीम ने ही उस ऊर्जा को सबसे ज्यादा ग्रहण किया है। इसीलिए इसे
रोग-निवारक समझा जाता है – किसी भी बीमारी के लिए नीम रामबाण दवा है। नीम के
एक पत्ते में 150 से ज्यादा रासयानिक रूप या प्रबंध होते हैं। इस धरती पर
मिलने वाले पत्तों में सबसे जटिल नीम का पत्ता ही है। नीम की केमिस्ट्री
सूर्य से उसके लगाव का ही नतीजा है।
-प्रीतिमा वत्स