Thursday, July 14, 2011

अकेली मोहे जान-जान के



चांद मारे ला किरणियां के वाण
अकेली मोहे जान-जान के।।
चांद मारे ला किरणियां के वाण,
अकेली मोहे जान-जान के।।
सावन-भादो के उमड़ल नदिया,
ठेहुना से ऊपर समेट लेल सड़िया
पियवा के ले चल जलपान,
अकेली मोहे जान-जान के,
चांद मारे ला ...............।
अबहि तो हमरी बाली उमरिया,
रहिया में करे छेड़खान,
अकेली मोहे जान-जान के,
बतिया ना माने हाय राम,
अकेली मोहे जान-जान के।
चांद मारे ला किरणिया के वाण,
अकेली मोहे जान-जान के।
अर्थ- चांद की किरणे भी गोरी को अकेली जानकर अपने वाण चलाने से नहीं चूकती हैं। सावन भादो की उमड़ती नदी में घुटने तक साड़ी समेटकर गोरी अपने पिया के लिए जलपान लेकर जा रही है, और चांद की किरणें हैं कि गोरी को अकेली जानकर उससे बार-बार छेड़ रही है। चाहे गोरी कितनी भी सफाई दे ले।

Lok Astha ka prateek Lukluki Gaon ka Saali Puja.

www.gaonjunction.com/lokrang/gramyug/sali-puja-of-lukluki-one-day-when-the-whole-village-becomes-a-devotee-of-maa-kali?fbclid=IwY2xjawKft1xl...