Thursday, December 23, 2010

अंगिका के देवी गीत

अंग जनपद (वर्तमान भागलपूर) की भाषा अंगिका लोक भजन और लोक गीतों से बहुत ही समृद्ध भाषा है। इन लोक गीतों में देवी के विभिन्न रूपों और श्रृंगारों की चर्चा होती रही है।

पांच बहिनी मैया पांचो कुमारी, हे कमल कर वीणा।
पांचो ही आदि भवानी, हे कमल कर वीणा।
महिषा चढ़ल असुरा गरजल आवै,हे कमल कर वीणा।
आजू करबै देवी स विवाह, हे कमल कर वीणा।
सिंह चढ़ली देवी खल-खल हांसै, हे कमल कर वीणा।
आजू करबै असुर संहार, हे कमल कर वीणा।
एक हीं हाथ मैया खड्ग लियलिन, हे कमल कर वीणा।
हे दोसर हाथ मुंडमाल, हे कमल कर वीणा।
भरी-भरी खप्पड़ मैया शोणित पियथिन, हे कमल कर वीणा।
जोगिनी धावै चारो ओर, हे कमल कर वीणा।
शोणित पीबिये मैया खल-खल हांसे, हे कमल कर वीणा।
शोणित पीबिये मैया जिहवा निकालै, हे कमल कर वीणा।
आजु करबै असुर संहार, हे कमल कर वीणा।
आजु करबै भगता के उद्धार, हे कमल कर वीणा।
अर्थ- इस देवी गीत में मां भगवती के पांच बहन होने की बात कही गई है। जो पांचो ही कुमारी देवियां हैं जो इस जगत में आदि शक्ति के नाम से पूजी जाती हैं। देवी के सुन्दर और सौम्य रूप को देखकर महिषासुर नामक दानव उनपर आशक्त हो जाता है। वह अपने वाहन महिष(भैसा) पर चढ़कर दौड़ता हुआ आ रहा है। वह यह कहता है कि आज मैं देवी से विवाह जरूर करूंगा। इधर देवी सिह पर सवार हो महिषासुर की नादानी पर खूब हंसती हैं। उन्हें पता है कि उसे उसकी मौत इस तरफ खींचकर ला रही है।मां एक हाथ में खड्ग और दूसरे हाथ में खप्पड़ लेकर तैयार हैं। खप्पड़ से भर-भरकर असुरों का रक्त वह पीती जा रही हैं। योगिनीयां उनके चारोओर नृत्य कर रही हैं। रक्त पीने के बाद वह अपनी जीभ निकालकर हंसती हैं, और कहती हैं कि आज मैं असुरों का संहार और अपने भक्तों का उद्धार कर दूंगी।
-प्रीतिमा वत्स

Lok Astha ka prateek Lukluki Gaon ka Saali Puja.

www.gaonjunction.com/lokrang/gramyug/sali-puja-of-lukluki-one-day-when-the-whole-village-becomes-a-devotee-of-maa-kali?fbclid=IwY2xjawKft1xl...