Wednesday, July 22, 2009
मनोरंजक राई गीत
गीत-1
फागुन महीने रंगीले घर आ जइयो राजा।
हाय-हाय रे घर आ जइयो राजा,
चार महीना जड़कारे के लागे,
थर-थर काँपे बिछौना में,
घर आ जइयो राजा।
चार महीन गरमी के लागे,
चोली भींजे पसीना में,
घर आ जइयो राजा।
चार महीना बरसा के लागे,
पानी जूंवे बिछौना में,
घर आ जइयो राजा।
गीत-2
श्याम मेरी गगरी उठाय जइयो,
फेर जा बैठ रइयो।
बड़े वजन की गागर हमारी,
गागर पे घेला धरांय जइये,
फेर जा बैठे रइयो।
संग की सहेली दूर निकर गई,
तनकई इशारो लगाये जइयो।
फेर जा बैठे रइयो।
जोड़ा मड़ोरी की लेज बनाई,
हाथों में लेज गहाय दइयो।
फेर जा बैठे रइयो।
गीत-3
तनक हँस बोल ल ये जलती बेरा।
कहाँ लगी बेरी, कहाँ लग मुनगा,
कहाँ लगे यार के हरियर केरा,
आंगन लगी बेरी, पछीत लगे मुनगा,
बागों लगे यार के जे हरियर केरा,
तनक हँस बोल ले ये चलती बेरा।
गीत-4
बेला के नये गोने आ गये रे, पलका लटका ले।
हाय-हाय रे पलका लटका ले।
कौना सा महीना में व्याव में हैं,
कौना में जौक करा ले रे।
हाय हाय रे पलका लटका ले।
मांओ के महीना में व्याव में है,
फागुन में चोक करा ले रे।
हाय हाय रे पलका लटका ले।।
-प्रीतिमा वत्स
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सारे गीत अद्भुत हैं...धरती से जुड़े हुए...बहुत ही अच्छा...
ReplyDeleteनीरज
anand aagaya
ReplyDeletelok geet aur lok saahitya ka koi jawab nahin....
badhaai !
सुन्दर भावमय
ReplyDeleteबहुत अच्छा लगा
hi mam my email id is ashish.maharishi@gmail.com..well thanks for comment
ReplyDeleteashish