Tuesday, March 18, 2008

रंग है तो जीवन है


हमारा व्यक्तित्व, हमारी दिनचर्या, हमारा रहन-सहन और मिजाज सभी कुछ रंगों से प्रभावित होता है। जीवन में रंग है तो सब कुछ है वरना वह नीरस और बेमानी लगने लगता है।

जीवन में रंगों का अपना एक विशेष महत्व है। व्यक्ति किस रंग के परदे, चादर, तकिए का कवर आदि घर में लगाना पसंद करता है। घर की दीवारों पर कौन से रंग का पेंट पसंद है, आदि दैनिक जीवन से जुड़ी कई बातें हैं जो किसी व्यक्ति के व्यक्तित्व को बताती है। औरतों के स्वभाव का पता भी एक हद तक रोजमर्रे की जिंदगी में उनके द्वारा उपयोग किए जानेवाले कपड़े, लिपस्टिक,नेलपॉलिश,सैंडिल,कार आदि के कलर से चल जाता है। हल्के रंग के कपड़े,हल्के रंग की लिपस्टिक,नेल पॉलिश आदि व्यवहार करनेवाली औरतें स्वभाव से अक्सर गंभीर होती हैं। लाल,गाढ़ा गुलाबी,नारंगी आदि कलर का उपयोग करनेवाली औरतें जहॉं शोख चुलबुली मानी जाती हैं, वहीं गाढ़ा बैंगनी, नीला आदि कलर का उपयोग करनेवाली औरतें सतही तथा फूहड़ मानी जाती हैं। यह आज की बात नहीं है, वैदिक काल से ही मानव के कुछ विशिष्ट गुणों की पहचान कुछ खास रंगों से होती रही है। केसरिया रंग शौर्य और वीरता का हरा रंग हरियाली के साथ-साथ आर्थिक विकास का और सफेद रंग शांति और सौम्यता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इन तीनों रंगों को भारत के राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया गया है। आदिकाल से शुभ-अशुभ, हर्ष-विषाद, शांति आदि के लिए अलग-अलग रंगों का उपयोग किया जाता है। शादी-ब्याह और दूसरे मांगलिक अवसरों पर लाल रंग प्रयुक्त होता है, क्योंकि यह शुभ माना जाता है। लेकिन मृत्यु आदि के अशुभ समझे जाने वाले मौकों पर काले रंग का प्रयोग होता है। ये रंग हमारे जीवन में इतने रच-बस गए हैं कि इनसे इतर व्यवहार की हम कल्पना भी नहीं कर सकते। रामायण और महाभारत में भी महारथियों के कपड़ों का रंग बहुत कुछ उनके व्यक्तित्व से मेल खाता हुआ ही बताया गया है। दुनिया के सभी मजहबों का अपना एक प्रतीक रंग है। हिंदू धर्म का प्रतीक रंग भगवा है तो ईसाई मजहब का सफेद और इस्लाम का हरा। वहीं जैन धर्म मानने वाले दो खेमे अपना अलग-अलग रंग पीला और सफेद रंगों को अपना प्रतीक रंग मानते हैं। और तो और धर्म को अफीम मानने वाले साम्यवादियों के लिए यह रंग उतना ही प्रिय और पवित्र माना जाता है, जितना विभिन्न धर्मावलंबियों के लिए अपना-अपना रंग।
चिकित्सा शास्त्र खासकर प्राकृतिक चिकित्सा विज्ञान में भी विभिन्न रंगों की बोतलों में पानी भरकर धूप में कुछ देर रखकर पीने से, अलग-अलग रंग की मिट्टी तक से बीमारियों की चिकित्सा बताई गई है।
जो लोग फलित ज्योतिष शास्त्र में आस्था रखते हैं, वे जानते हैं कि उनके जीवन में रंगों की कितनी अहम भूमिका है। हफ्ते के कौन से दिन किस रंग के कपड़े पहनने से लाभ या हानि होने की संभावना है। अपनी राशि और जन्म तिथि के मूलांक के हिसाब से कौन सा रंग शुभ और अनुकूल है या कौन सा रंग अशुभ या विघ्नकारक है, इसका एहसास उन्हें हमेशा रहता है। ग्रह-नक्षत्रों के विभिन्न रंगों के साथ संबंधों को लेकर दो राय भले ही हो सकती है, लेकिन सड़कों पर चलने वाले स्वचालित वाहनों के रंगों के बारे में हमें कतई भ्रम नहीं रखना चाहिए। विशेषज्ञों के अध्ययन से अब यह साबित हो गया है कि कुछ खास रंगों के वाहनों में दुर्घटना की आशंका ज्यादा रहती है, जबकि कुछ दूसरे खास रंग निरापद माने जाते हैं। कुछ विशेषज्ञों के अनुसार सड़क पर सुरक्षा की दृष्टि से नीला या पीला रंग सबसे अच्छा माना जाता है और सलेटी सबसे खराब। दुनिया की सबसे महंगी कारें बनानेवाली ,एक अमेरिकी कंपनी द्वारा पिछले दिनों कराए गए सर्वेक्षण से पता चलता है कि सफेद, चमकदार पीले और नारंगी रंग की कारें ज्यादा सुरक्षित हैं, क्योंकि ये रंग आसानी से नजर आ जाते हैं और दुर्घटना की आशंका कम हो जाती है। इसके विपरीत गहरा रंग आसानी से दूसरे वाहन-चालकों को नहीं दिखाई देता है। इसलिए इस रंग के कारण दुर्घटनाग्रस्त होती रहती है। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि रंगों का पूरा माया संसार अपने चारों तरफ फैला पड़ा है। और आप चाहकर भी इससे नहीं बच सकते। आपको सिर्फ य़ह ही तय करना है कि कब कौन सा रंग आपके व्यक्तित्व, आपके मिजाज, आपकी जीवनशैली और पसंद के ज्यादा अनुकूल है या कौन सा रंग आपको शारीरिक और मानसिक रूप से ज्यादा निरापद लगता है। इसलिए अच्छी तरह सोच-समझकर अपने मनपसंद रंग का चयन कीजिए और उस रंग में अपने को रंग लीजिए। वैसे मौसम भी तो रंगों का ही है।
-प्रीतिमा वत्स

1 comment:

  1. अत्यन्त रोचक है, अच्छा लगा , सही कहा आपने रंग के बिना जीवन अधूरा होता है ...!

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